Liberal feminism (उदारवादी नारीवादियों के मुख्य तर्कों का विश्लेषण)

Liberal feminism (उदारवादी नारीवादियों के मुख्य तर्कों का विश्लेषण) –

नाश जाय: सत्य वाही कल्याणी तल्पमा शयै ।

यास्मीन राष्ट्रे निरूधते बह्म जायः चित्यः  ।।

 एक  जायः का अर्थ है स्त्री और दूसरे जायः का अर्थ है ज्ञान अर्थात विद्या  /

अर्थात जिस राष्ट्र में स्त्री को जड़ता पूर्वक प्रतिबंध में डाला जाता है / उसे राष्ट्र में सैकड़ो कल्याणो को धारण करने वाली जाय: विद्या में फलित होने से वंचित हो जाती है  / यहां एक जाय:का अर्थ स्त्री से है और एक जाय :का अर्थ ज्ञान अर्थात विद्या से है /
प्रकृति में नारी और पुरुष को भिन्न बनाया है , इनकी भिन्नता में ही श्रेष्ठता है , पुरुष में सहनशीलता के गुण होने चाहिए  / पुरुष और स्त्रियों के कुछ गुणों को समाजीकरण की प्रक्रिया में छीन लिया जाता है /  पुरुषों की करुणा और संवेदना को समाप्त कर दिया जाता है गुड़िया धमाका स्त्रियों के अंदर साहस को खत्म कर दिया जाता है /
Feminism अंतर्राष्ट्रीय समाज में स्त्रियों की स्थिति और भूमिका के संदर्भ में एक सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन के रूप में जन्म लिया है , यह महिलाओं को एक समान अधिकार समानता स्वतंत्रता तथा कानूनी संरक्षण की बात करता है / Feminism यह मानता है ,  कि एक पुरुष प्रधान समाज की वजह से महिलाएं शक्ति से वंचित हो गई है / वह गैर लाभ की स्थिति में पुरुषों के अधीन और शोषित होती हैं अर्थात अन्याय का सामना कर रही है Feminism समाज में नारियों के अधिकारिकता के लिए नारी के प्रति जो अन्याय है /  उसे समाप्त करने की बात करता है /

समाज में समान रूप से अवसर मिले कानून का समान संरक्षण मिले ना कि मनुष्य स्त्री की तरह व्यवहार करें ना
की स्त्री पुरुष की तरह व्यवहार करें /

Feminism का उदय पश्चिमी जगत में तीन धारा में देखा जाता है /

1-पहले धारा 18 वीं शताब्दी से 1960 में शुरू होती है ,
2-दूसरी धारा मार्क्ससिस्ट फेमिनिज्म के रूप में शुरू होती है 1960 से 1990 तक,
3-तीसरी धारा 1990 से शुरू होती है जिससे लिबरल फेमिनिज्म के रूप में देखा जाता है/
पहले धारा मैं महिलाओं की स्वतंत्रता और राजनीतिक और कानूनी अधिकार हासिल करना और पितृसत्तात्मक समाज से मुक्ति की बात करता है/
“मेरी वोलस्टॉन क्राफ्ट” की पुस्तके –  “मेरी ए फिक्शन”,”ओरिजिन स्टोरीज फ्रॉम रियल लाइफ”
“जे एस मिल”की पुस्तक -“द सब्जेकशन ऑफ वूमेन”
इस किताब के बाद ही दुनिया में महिलाओं के वोटिंग अधिकार देने पर विचार किए गए समान राजनीतिक अधिकार, समान आर्थिक अधिकार, समान नागरिक, अधिक स्वतंत्रता की बात की जाने लगी / अंतरराष्ट्रीय समाज में इसके बाद मताधिकार आंदोलन चले / महिलाओं के लिए खासकर इंग्लैंड में आंदोलन चले , सबसे पहले न्यूजीलैंड में महिलाओं को वोटिंग अधिकार दिया गया 1917 में इंग्लैंड में 1920 में अमेरिका में 1944 में फ्रांस में 1971 मे स्विट्जरलैंड में महिलाओं को वोटिंग अधिकार दिया गया /

पहले धारा में महिलाओं के स्वतंत्रता और अधिकार की बात की गई,
1960 में दूसरी धारा की शुरुआत होती है,
“एंजेल “की पुस्तक “द ओरिजन फैमिली प्रॉपर्टी एंड स्टेट”
बच्चों का पालन पोषण करना यह महिलाओं का शोषण है  / एंजेल यह बात करते हैं कि , महिलाओं कि इस स्थिति का प्रमुख कारण पूंजीवादी व्यवस्था है /
रेडिकल फेमिनिज्म यह महिला केन्द्रित है, पुरुषों के द्वारा बनाए नियमों को चुनौती देता है ,समानता और सामाजिक न्याय की बात करता है /
सिमोनबुआकी पुस्तक – “द सेकेंड सेक्स “
स्त्री पैदा नहीं होती स्त्री बनाई जाती है” पितृ समाज ऐसा वातावरण तैयार करता है जहां स्त्रियों का शोषण किया जाता है
समाज हम हमारी समझ हमारा वर्ग इससे वह कैसे गढ़ता है ,इसी से जेंडर का जन्म होता है पुरुष और स्त्री के बीच शक्ति  संबंध इसी पर आधारित है /
बेटी फ्रीडेनकी पुस्तक –“द फैमनिन मिस्टिक “
बेटी महिला अपनी पूर्णता को बच्चे पालने में पाती है / ऐसी स्थिति में वह अपनी पहचान को भूल जाती है/  फ्राइडन महिलाओं की समान मजदूरी मिले ,समान शिक्षा का अधिकार महिलाओं को मिलना चाहिए / गर्भपात का भी निर्णय लेने का उन्हें पूर्ण अधिकार होना चाहिए, ऐसी बातों को “बेटी फ्रीडम अपनी इस बुक में बताती हैं/
कैरोल हेनेस”की पुस्तक –पर्सनल इज पॉलिटिकल”(1969)
कैरोल कहती है कि महिलाओं का व्यक्तिगत जीवन राजनीतिक व्यवस्था में लिंग आधारित शक्ति संरचना को दिखाता है/
फायरस्टोन “की पुस्तक- द डायलेक्टिक ऑफ सेक्स “(1970)
फायरस्टोन का कहना है कि, महिलाओं की अधीनता जैविक है / बच्चों को संभालना यही उन्हें कमजोर यौन बनाता है उनका कहना है, कि महिलाओं को बच्चों को जन्म देने और संभालने से इनकार कर देना चाहिए/
“मिलेट “की पुस्तक-“सेक्सुअल पॉलिटिक्स”
मिलेट का कहना है, कि यौन के बीच संबंध शक्ति संरचना पर आधारित है, इसलिए पुरुष और स्त्री के बीच राजनीतिक संबंध है, जो पुरुष है वह स्त्रियों के ऊपर आधिपत्य दो तरीके से रखते हैं पहला सामाजिक प्राधिकार के कारण स्त्रियों पर अधिकार, दूसरा आर्थिक संपत्ति जिसके कारण पुरुष स्त्रियों पर आधिपत्य रखते हैं/
इसमें महिलाओं को परिवार के दायरे से बाहर निकाल कर अधिकार देने की बात आई वहां पारिवारिक संस्था विफल होने लगी है/  रेडिकल फेमिनिस्ट इसलिए प्रभावशाली नहीं पाया गया है यह परिवार जैसी संस्था को समाप्त करने की बात करता है/ इसकी आलोचना इसी के आधार पर की जा सकती है /
इसके विरोध में तीसरी धारा का विकास हुआ सांस्कृतिक नारीवाद इस धारा में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है संस्कृत नारीवाद स्त्री की प्रकृति को पुनर परिभाषित करने की बात करता है इसके अनुसार स्त्री को प्रमुख मानकर संस्कृति का निर्माण करें तो हम नारीवाद स्थापित कर सकते हैं ना कि उनके दायित्व से दूर करके या परिवार से दूर करके नारीवाद को स्थापित किया जा सकता है/
अंतरराष्ट्रीय संबंध में Feminism
नाओमी वुल्फकी पुस्तक-“फायर विथ फायर”(1993)
यह बताती है, कि महिला शक्ति 20वीं शताब्दी को कैसे बदल सकती है, जितने भी युद्ध हैं सभी पुरुषीय लिए हैं और शांति नारित्व से जुड़ी है /
“जीन एलेस्टीन”की पुस्तक-“वूमेन एंड वॉर “(1987)
इनका कहना है, कि जो मनुष्य है वह न्याय पूर्ण  योद्धा है, नारी सौंदर्य पूर्ण आत्मा है ,यही स्थिति नारी को सैनिक या योद्धा होने से रुकती है, पुरुष, स्त्रियों और बच्चों की रक्षा करने वाला है, इसी कारण स्त्रियों को कमतर माना जाता है/
“बारबरा हैरेनराइच “की पुस्तक- वर्ल्ड राइट्स (1997)
बारबरा कहते हैं, कि पुरुषों ने युद्ध को बनाया क्योंकि युद्ध होने ही पुरुषों को पुरुष बनाया इतिहास से लेकर आधुनिक  समय तक देखें तो इतिहास को ऐसे ही बनाया या लिखा गया जैसा बारबरा बताते हैं/
“हिलेरी चार्ल्स बर्थ”_(आर्टिकल)
2024″मिशल नन “_(आर्टिकल)”वाई वी मस्ट लिस्सेस्ट अन संग सिरोजऑफ वार”
लिंग आधारित हिंसा को इसमें शामिल करती है युद्ध या संघर्ष के क्षेत्र में महिलाओं में यह समझ होती है कि समुदाय को किस प्रकार सुरक्षित रखा जाए फिर भी युद्ध क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को कमतर माना जाता है / महिलाएं आक्रामक नहीं हो सकती परंतु महिलाएं डिफेंडर बन सकती हैं / इस रूप में महिलाओं को देखने की जरूरत है , सुरक्षा के संबंध में निर्णय लेने में महिलाओं की भूमिका को समझना होगा, इसलिए नारीवाद अंतरराष्ट्रीय संबंधों को एक नई दिशा दे सकता है इसी में इसका महत्व छिपा हुआ है /

 

 

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