What do you understand by Gabriel Almond’s structural functional approach?(गेब्रियल आलमंड के संरचनात्मक कृत्यात्मक उपागम से आप क्या समझते हैं)

Gabriel Almond’s structural functional approach:(गेब्रियल आलमंड के संरचनात्मक कृत्यात्मक उपागम)

Gabriel Almond (12 जनवरी, 1911 – 25 दिसंबर, 2002) एक अमेरिकी राजनीतिक वैज्ञानिक थे जिन्हें तुलनात्मक राजनीति, राजनीतिक विकास और राजनीतिक संस्कृति पर उनके अग्रणी काम के लिए जाना जाता था।

संरचनात्मक प्रक्रियात्मक उपागम में सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत उन कृत्यों को खोजने का प्रयास किया गया है जो सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने की भूमिका अदा कर सके अपेक्षित अनुसंधान द्वारा चार कृत्यों की खोज की गई है /

1. लक्ष्य सिद्धि – यह राजनीतिक व्यवस्था का प्रमुख कार्य है/
2. अनुकूलन – इसके अंतर्गत सामाजिक प्रणाली को कायम रखने के लिए अपेक्षित संसाधनों की खोज की जाती है/
3. एकीकरण – इसका ध्येय राजनीतिक प्रणाली को एकजुट रखने तथा उसे छीन्ह भिन्न होने से रोकता है/
4. प्रतिमान अनुरक्षण –  इसका ध्येय सामाजिक संप्रेषण तथा तनाव आवंटन संभालना है जिससे सामाजिक मूल्यों के प्रति व्यक्तियों में विश्वास बना रहे/
राजनीतिक प्रणाली के अंतर्गत सीमित क्षेत्र से जुड़े कृत्यों का विश्लेषण अमेरिकी वैज्ञानिक “Gabriel Almond” ने अपनी पुस्तक “द पॉलिटिक्स आफ डेवलपिंग एरियाज” में किया है/
Gabriel Almond  ने चार प्रकार के कृत्यों की पहचान की है तथा उसे संपन्न करने वाली संरचनाओं का भी वर्णन किया है अनेक कृत्यों को अनेक संरचनाओं की जरूरत हो सकती है उसी प्रकार यह संरचना अनेक कृत्यों का साधन बन सकती हैं/

पहला आगत, कृत्य राजनीतिक  समाजीकरण है इसके अंतर्गत व्यक्ति पहले पहल राजनीतिक प्रणाली के औचित्य को समझता है और फिर वह जानता है कि हित साधन के लिए इस प्रणाली का प्रयोग करना है इस प्रक्रिया के अंतर्गत रहकर समाज के राजनीतिक जीवन के प्रति अनुकूलित दृष्टिकोण बनता है स्वयं समाज अपने आदर्श,  मूल्य मान्यताओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचआ ता है इन कृत्य को संपन्न करने वाली संरचना है परिवार, मंत्रिमंडल, शिक्षा संस्थान, धार्मिक तथा राजनीतिक संगठन इसमें ही भर्ती प्रक्रिया होती है जो राजनीतिक समूहों में नहीं भर्ती किए जाते हैं और आधिकारिक तंत्र की भर्ती नियुक्ति भी इसी में आती है /
दूसरा कृत्य, हित स्पष्टीकरण_इसके अंतर्गत समूह की मान्यताओं अभिवृत्तियों को राजनीतिक प्रणाली में मांगों के रूप में परिणत कर लिया जाता है इसमें कृत्यों को संपन्न करने वाली संरचना हित समूह है इसके अलावा इसमें अन्य संरचना जैसे राजनीतिक चुनाव अभियान, जनसंपर्क की भूमिका रहती है/

 

तीसरा कृत्य, हित सामूहिकरण के अंतर्गत समूह की मांगों को एकजुट कर दिया जाता है जिस राजनीतिक सत्ताधारी का ध्यान उसकी और आकर्षित हो सके इसमें यह मांगे ऐसे मुद्दे का रूप ले लेती हैं जिस पर निर्णय या नीतियां बनाना आवश्यक हो जाता है जिसमें कृत्यों का समर्थन या सरचना राजनीतिक दल होते हैं/
चौथा कृत्य राजनीतिक संप्रेषण यह समूह तथा व्यक्तियों की मांगों को राजनीतिक प्रणाली तक पहुंचाने का काम करती है तथा राजनीतिक व्यवस्था के द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय नीतियों को व्यक्ति तक पहुंचने का कार्य करती है यह जनसंपर्क के साधन समूह व्यक्तियों तथा राजनीतिक प्रणाली के बीच समुद्र सेतु का काम करती हैं/
नीति निर्माण, नीति अनुप्रयोग, नीति अधिनियम, यह परंपरावादी राजनीतिक व्यवस्था के कृत्य है और उनके संपन्न करने वाली संरचना कार्यपालिका ,विधायिका और न्यायपालिका है आगत कृत्य गैर राजनीतिक हैं और निर्गत कृत्य सरकार उप राजनीतिक व्यवस्था से संबंधित है आलमंड ने आगत कृत्यों पर अधिक  बल दिया है जिसका परंपरागत उपागम में गैर संवैधानिक संगठनों का अध्ययन नहीं किया गया परंतु यह विश्लेषण आधुनिक उपागम के संबंध में उपयोगी है/
#आलोचना इस प्रणाली का उपयोग सभी समस्याओं के लिए नहीं किया जा सकता प्रभुत्व की संरचनाओं तथा शक्ति भूमिका के लिए उपयोगी नहीं है और इसकी दूसरी आलोचना यह कर सकते हैं इसको हरबर्ट और शिकागो के बंद कमरों में रखकर इस प्रणाली का विश्लेषण किया गया है यह प्रणाली सर्वसम्मति को महत्व देती है परंतु विकासशील देशों में सर्वसम्मति बनाना मुश्किल है/

 

 

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